क्या है घोसी का सियासी समीकरण, बीजेपी-सपा में कौन किसपर पड़ेगा भारी ?   

घोसी विधानसभा उपचुनाव के लिए राजनीतिक दलों ने अपना खाका तैयार कर लिया है, खासकर जब से प्रत्याशी के नामों का ऐलान हुआ है.

डिजिटल स्टोरी- यूपी में इस समय उपचुनाव की वजह से सियासी माहौल बिल्कुल ही बदला हुआ नजर आ रहा है, मऊ जिले की घोसी विधानसभा सीट पर चुनाव का ऐलान होते ही सियासी पारा एकदम से हाई हो गया है, घोसी विधानसभा उपचुनाव के लिए राजनीतिक दलों ने अपना खाका तैयार कर लिया है, खासकर जब से प्रत्याशी के नामों का ऐलान हुआ है. अब घोसी की जनता ही यहां के प्रत्याशियों की किस्मत का फैसला करेगी. 

सीट वहीं है….जगह वहीं हैं पर पार्टी बदली हुई है. दारा सिंह चौहान के लिए…

दरअसल, बीते दिनों घोसी विधानसभा उपचुनाव के लिए समाजवादी पार्टी ने प्रत्याशी की घोषणा कर दी थी. तो वहीं आज मुख्य धारा वाली पार्टी बीजेपी ने दारा सिंह चौहान को घोसी से अपना प्रत्याशी घोषित कर दिया है.

बता दें कि ये दोनों की नाम ऐसे है जिनकी चर्चा उपचुनाव के तारीखों के ऐलान के साथ ही होना शुरु हो गई थी. अंदाजा पहले से ही लगाया जा चुका था कि समाजवादी पार्टी, सुधाकर सिंह को ही अपनी किस्मत आजमाने के लिए चुनावी मैदान में दांव लगाएगी.

घोसी विधानसभा सीट से बीजेपी और सपा दोनों ही पार्टियों ने अपने-अपने खिलाड़ी चेहरों पर दांव लगाते हुए चुनाव ए-जंग का ऐलान कर दिया है. बता दें कि घोसी विधानसभा सीट पर 5 सितंबर को वोटिंग होगी.उपचुनाव की 8 सितंबर को काउंटिंग होगी. जानकारी के लिए ये भी बता दें कि दारा सिंह चौहान के इस्तीफे के बाद घोसी सीट खाली हुई थी.

अब मोटा-मोटी बात कर लेते हैं घोसी सीट के सियासी और जातीय समीकरण की.

घोसी सीट पिछले दो बार से उपचुनाव का मुंह देख रहा है…बता दें कि 2017 के चुनाव में बीजेपी के टिकट से फागू चौहान विधायक चुने गए, लेकिन 2 साल बाद ही उन्हें बिहार का राज्यपाल बना दिया गया और उपचुनाव हुए.ठीक वैसे ही 2022 में बीजेपी के कद्दावर नेता और पूर्व कैबिनेट मंत्री रहे दारा सिंह चौहान ने बीजेपी को झटका देते हुए साइकिल की सवारी करते हुए विधायक बन गए थे. लेकिन कुछ साल के अंदर ही उनका सपा से मन भर गया, तो वो सपा को छोड़कर बीजेपी में चले गए.  

आपको अभी का तो पता ही हैं कि फिर से घोसी सीट उपचुनाव की दहलीज पर आ गया है.

अब जानते हैं थोड़ा सा घोसी की जनता के बार में ?

घोसी इलाके का जातीय समीकरण भी काफी दिलचस्प रहा हैं. घोसी विधानसभा में पिछड़े, मुस्लिम और दलित समेत अन्य का जातिगत फैक्टर भी काफी प्रभावी ढंग से रहा है,

जो नेता इन लोगों को लुभाने में कामयाबी हासिल कर लेता हैं, तो मानों घोसी की सीट उसी की हो जाती हैं.वहीं इस सीट का वितेजा बन जाता है.

इस लिहाज से भी सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव ने जो PDA का फॉर्मूला दिया हैं.उसको भी आजमाने का वक्त आ गया है.बता दें कि 4.20 लाख मतदाताओं वाली घोसी सीट पर मुस्‍लिम वोटर करीब 85 हजार हैं. दलित 70 हजार, यादव 56 हजार, राजभर 52 हजार और चौहान वोटर करीब 46 हजार हैं. इस जातीय समीकरण की वजह से सपा जीत की उम्मीद तो कर रही होगी लेकिन दारा सिंह चौहान की पूर्वांचल में पिछड़ी जाति में अच्छी पकड़ है.

अब एक तरफ बीजेपी के कद्दावर नेता दारा सिंह चौहान हैं तो दूसरी तरफ सपा के बाहुबली माने जाने वाले नेता सुधाकर सिंह…अब उपचुनाव का ये मुकाबला बड़ा ही दिलचस्प होगा. क्योंकि इस सीट पर बीजेपी और सपा में सीधी टक्कर देखने को मिलेगी. लेकिन घोसी की जनता का जो मेन मुद्दा है वो विकास का ही है. यहां की जनता का दिल जीतने में कौन कामयाब हो पाता हैं ये तो नजीते आने के बाद ही पता चलेगा…

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