संयुक्त राष्ट्र में चीन के खिलाफ भारत ने नहीं किया मताधिकार का प्रयोग, विशेषज्ञों ने बताया रणनीतिक कदम

संयुक्त राष्ट्र में चीन के शिनजियांग प्रांत के विषय में बहस प्रस्ताव के लिये हुये मतदान से भारत ने अपने आप को दूर रखा। जनता और कई संघ भारत के इस कदम की आलोचना कर रहे हैं।

संयुक्त राष्ट्र में चीन के शिनजियांग प्रांत के विषय में बहस प्रस्ताव के लिये हुये मतदान से भारत ने अपने आप को दूर रखा। जनता और कई संघ भारत के इस कदम की आलोचना कर रहे हैं। जबकि, विदेश मामलों के जानकार इसे भारत की सोची समझी नीति का हिस्सा बता रहे हैं। विशेषज्ञ इसे चीन को कश्मीर मामले पर संदेश देने और हितों की रक्षा करने वाली कूटनीती का हिस्सा मान रहे हैं।

शिनजियांग प्रांत में मानवाधिकार के मुद्दे पर हुये मतदान से भारत की दूरी काफी चर्चा में बनी हुई है। संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद (यूएनएचआरसी) में भी चीन को लेकर हमने यही किया था। विदेश मामलों के जानकारों का मानना है कि भारत ने ऐसा करके चीन को कड़ा संदेश दिया है। भारत ने चीन को कूटनीतिक रूप से समझाने की कोशिश करी है कि जिस प्रकार हम अपने पड़ोसी देशों के आन्तरिक मामलों से दूर रहते हैं। उसी का अनुसरण हुये चीन को भी कश्मीर जो की भारत का आन्तरिक विषय है में दखल नहीं देना चाहिये।

2019 व 2020 में चीन ने कश्मीर पर चर्चा का मुद्दा उठाया था, जिसे बाद में खारिज कर दिया गया था। चीन के शिनजियांग प्रांत के उईगर मुसलमानों के शोषण को लेकर यह चर्चा होनी थी। जोकि मतों के अभाव में खारिज हो गयी। 47 सदस्यीय परिषद में 17 मत पक्ष में तो वही 19 मत इसके विपक्ष में पड़े। वहीं भारत समेत 11 देशों ने खुद को मतदान से दूर रखा।

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