यूपी में बुलडोज़र कार्यवाही पर फिलहाल रोक नहीं, सुप्रीम कोर्ट ने यूपी सरकार को जारी किया नोटिस…

यूपी में दंगों के आरोपियों पर बुलडोज़र कार्यवाही पर सुप्रीम कोर्ट ने फिलहाल किसी प्रकार की रोक लगाने से इनकार किया। सुप्रीम कोर्ट ने याचिका जमीयत उलेमा ए हिन्द की याचिका पर यूपी सरकार को नोटिस जारी कर तीन दिन में जवाब दाखिल करने को कहा है। सुप्रीम कोर्ट ने यूपी से पूछा जो बुलडोजर की करवाई हुई है क्या वह कानूनी प्रक्रिया के तहत हुई है या नही? सुप्रीम कोर्ट ने उत्तर प्रदेश सरकार से कहा कि भविष्य में नियमों और कानूनों के अनुसार कार्यवाही करेगी। यूपी सरकार ने कहा कि बुलडोज़र की कार्रवाही में कानूनी प्रक्रिया का पालन किया गया है।

सुप्रीम कोर्ट में आज मामले की सुनवाई के दौरान जमीयत उलेमा ए हिन्द की तरफ से वकील चंद्रा उदय सिंह ने कहा कि अप्रैल के महीने ने सुप्रीम कोर्ट ने जहांगीरपुरी मामले में एक अंतरिम आदेश पारित किया था। यूपी के लिए उसमें कोई आदेश नहीं था। यूपी में लगातार अवैध निर्माण के नाम पर बुलडोज़र की कार्यवाही की जा रही है। लोगों का मानना है कि बदले की कार्यवाही हो रही है, आज़ादी से पहले भी कभी ऐसा नहीं होता था। ऐसा भी घर गिराया गया जो आरोपी के नाम पर नहीं उसकी पत्नी या किसी और के नाम है। सुप्रीम कोर्ट ने पूछा कि क्या कोई नोटिस दिया गया है? जमीयत के वकील ने कहा कि कुछ मामलों में नोटिस जारी किया गया था लेकिन बड़े अधिकारी बयान दे रहे हैं कि पत्थरबाज, गुंडों के खिलाफ बुलडोज़र की कार्यवाही की जाएगी। जमीयत के वकील ने कहा कि बिल्डिंग को अवैध ठहरा पक्के घर गिराए जा रहे है, 20 साल से भी पुराने घरों को गिराया गया।

सुप्रीम कोर्ट का सवाल क्या कानूनी प्रक्रिया हुई? जमीयत की वकील ने कृष्णन ने कहा कि इस मामले में जवाबदेही तय होना चहिए। वकील ने कहा कि उत्तर प्रदेश (रेग्युलेशन ऑफ बिल्डिंग ऑपरेशन्स) एक्ट, 1958 की धारा 10 और उत्तर प्रदेश अर्बन प्लानिंग एंड डेवलपमेंट एक्ट, 1973 की धारा 27 का उल्लंघन हो रहा है। याचिकाकर्ता के वकील ने कहा कि कानूनों में किसी निर्माण पर कार्रवाई से पहले उसके मालिक को 15 दिन का नोटिस देने और संपत्ति के मालिक को कार्रवाई रुकवाने के लिए अपील करने के लिए 30 दिन का समय देने जैसे प्रावधान हैं, लेकिन यूपी में उनका पालन नहीं हो रहा है। याचिकाकर्ता के वकील ने कहा कि नोटिस देने के बाद कम से कम 15 दिन और अधिकतम दिन 40 दिन के पूरा होने का इंतज़ार करना होता है लेकिन उत्तर प्रदेश में ऐसा नहीं हो रहा है।

जस्टिस बोपन्ना ने कहा कि नोटिस जरूरी होते है, हमे इसकी जानकारी है। उत्तर प्रदेश सरकार की तरफ से सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि याचिकाकर्ता तथ्यों को बदल कर पेश कर रहे हैं। सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि जो जहाँगीपुरी मामले में एक भी पीड़ित है उनमें से एक भी कोर्ट नही आया है, जमीयत कि तरफ से याचिका दाखिल की गई। यूपी प्रशासन के तरफ से हरीश साल्वे ने कहा मामले में कोर्ट कौन आया यह देखना चहिए?

यूपी सरकार की तरफ से सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि हर किसी का अपना एजेंडा है एक राजनीतिक पार्टी की तरफ से याचिका दाखिल की गई है। हरीश साल्वे ने कहा कि प्रयागराज में 10 मई को शो कॉज़ नोटिस जारी किया गया, दंगे से पहले नोटिस दिया गया था, 25 मई को ध्वस्तीकरण का आदेश जारी किया गया था। हरीश साल्वे ने कहा कि 17 अगस्त 2020 में कानपुर में नोटिस जारी किया गया था। उत्तर प्रदेश सरकार ने मामले में हल्फनामा दाखिल करने के लिए समय मांगा। सुप्रीम कोर्ट ने कहा उत्तर प्रदेश सरकार को हलफनामा दाखिल करने के लिए समय देंगे लेकिन तब तक बुलडोज़र की कोई न की जाये। सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने इसका विरोध करते हुए कहा कि एक तरफा आदेश ना पारित किया जाए। सुप्रीम कोर्ट में जस्टिस ए एस बोपन्ना और जस्टिस विक्रम नाथ की पीठ ने सुनवाई किया।

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