‘बेकसूरों’ को गांजा लगाकर जेल भेजा तो जज साहब ने ली थानेदार की “रिमांड”

अनार की रेहड़ी लगाने वाले दो युवकों को जेल भेजना मेरठ पुलिस को मंहगा पड़ गया है. कोर्ट में पेशी के दौरान बेकसूरों की गुहार पर न्यायाधीश ने मेरठ पुलिस की ‘रिमांड’ ली है और विवेचनाधिकारी/थानेदार को आरोपियों की गिरफ्तारी के सबूत पेश करने का आदेश दिया है. अदालत के इस एक्शन के बाद थाने से लेकर अफसरों तक में हड़कम्प मचा हुआ है. आज हुई सुनवाई में कोर्ट ने पुलिस को सबूत पेश करने के लिए एक हफ्ते का वक्त दिया है.

अपर सत्र न्यायाधीश-14 (एनडीपीएस एक्ट) के सामने 3 फरवरी 2024 को मेरठ के परतापुर थाना पुलिस ने मो0 आहिल और सुहैल को पेश किया था. अदालत को बताया गया कि दोनो आरोपी ड्रग तस्कर है और उनके पास से करीब 2200 ग्राम गांजा बरामद किया गया है.

कोर्ट में आहिल और सुहैल ने खुद को बेगुनाह बताते हुए कहा कि वे शुक्रवार (2 फरवरी) की पैठ बाजार में अनार का ठेला लगाते है. पुलिस ने उन्हें पैंठ से शुक्रवार को उठाया और थाने ले आयी. दोनो को अवैध हिरासत में थाने में रखा गया और शनिवार को उनके खिलाफ फर्जी केस दर्ज किया गया और उन्हें गांजे का तस्कर बताकर जेल भेजने की कार्रवाई की गयी. उनके पास से गांजे की फर्जी बरामदगी दिखाई गयी है.

आहिल और सुहैल ने कोर्ट को बताया कि उनके साथ थाने में दो अन्य व्यक्ति चित्ती और फईम भी थे जिन्हें पुलिस ने पैसा लेकर छोड़ दिया है.

अदालत ने आरोपियों की जुडीशियल रिमांड स्वीकार करते हुए थानेदार/ विवेचक जयकिरण सिंह को आरोपियों की गिरफ्तारी संबधी सबूत पेश करने के लिए कहा है.

पुलिस को अदालत के आदेश में कहा गया है कि जिन पुलिसकर्मियों ने दोनो की गिरफ्तारी की है उनके 2 और 3 फरवरी के मोबाइल लोकेशन प्रस्तुत करे.

अदालत ने थानेदार को आदेश दिया है कि थाने में लगे सीसीटीवी कैमरे की 2 और 3 फरवरी की फुटेज कोर्ट में प्रस्तुत की जाये. अगर थानेदार यह बहाना बनाते है कि सीसीटीवी एक्टिव नही थे या फुटेज डिलीट हो गयी है अथवा सीसीटीवी फुटेज की क्वालिटी खराब है तो ऐसी दशा में उनके खिलाफ उपधारणा की जायेगी और धारा-58 एनडीपीएस एक्ट की कार्रवाई अमल में लायी जायेगी.

अदालत ने कहा है कि दर्ज की गयी तहरीर में जिक्र है कि गिरफ्तारी के वक्त इलाके के क्षेत्राधिकारी को भी सीयूजी पर फोन कॉल किया गया लेकिन फोन रिसीव नही हो सका. कोर्ट का आदेश है कि थानेदार इस मामले में सीयूजी फोन पर किये गये कॉल की स्क्रीनशॉट अदालत के समक्ष प्रस्तुत करे.

कोर्ट ने दोनो आरोपियों की इस फरियाद पर कि आरोपी गरीब है और पैरवी के लिए वकील का इंतजाम नही कर सकते, सरकारी खर्चे पर डिप्टी लीगल एंड डिफेंस काउन्सिंल नासिर को उनकी पैरवी के लिए आदेशित किया है. अदालत ने इस आदेश की एक कॉपी एसएसपी मेरठ को भी भेजी है.

इस मामले में आज थानेदार जयकिरण सिंह को सबूत दाखिल करने थे. सुबह से ही कोर्ट के बाहर हाथ बांधें खड़ी पुलिस जब कोर्ट में पहुंची तो उसके हाथ सबूतों से खाली थे.

सरकार से जुड़े वकील ने बताया कि कोर्ट में पुलिस ने सबूत पेश करने के लिए मोहलत की फरियाद की जिस पर कोर्ट ने पुलिस को एक हफ्ते का वक्त दिया है. अब अगली सुनवाई 12 फरवरी को होगी. कोर्ट ने आरोपियों की जुडीशियल रिमांड को भी बढ़ा दिया है. यह रिमांड अब तक 5 फरवरी तक की थी.

ज्ञातव्य है कि पुलिस से कोर्ट ने सिर्फ थाने में लगी सीसीटीवी की फुटेज और गिरफ्तारी करने वाले पुलिसकर्मियों की मोबाइल लोकेशन मांगी थी.

मुमकिन है कि पुलिस दो दिन में मोबाइल की लोकेशन नही दे सके लेकिन थाने में लगे सीसीटीवी कैमरे और उसकी डीवीआर थानेदार के संरक्षण में रहती है. ऐसे में पुलिस का सबूत पेश ना कर पाना सीधे-सीधे यह साबित करता है कि आहिल और सुहैल के आरोप एकदम से तो निराधार नही है. अगर पुलिस के ही बड़े अधिकारी इस मामले का संज्ञान लेकर गंभीर रूप से जांच कराते है तो पुलिस से जुड़े आरोपी कटघरे में होगे.

इस मामले में थानेदार की भूमिका पर भ्रष्टाचार और मानवाधिकारों के उल्लंघन के अलावा आपराधिक कृत्य के आरोप है. इंस्पैक्टर जयकिरण सिंह यूपी पुलिस के एक शीर्ष अफसर के करीबी माने जाते है.

मेरठ के एसपी सिटी आयुष विक्रम सिंह का बयान अदालती कार्यवाई से कुछ अलग आया है.

एसपी सिटी के मुताबिक थानेदार ने कोर्ट में जबाब दाखिल किया गया है. कुछ ऐसी चीजे कोर्ट ने मांग ली थी जो दाखिल किया जाना नियम के अनुसार संभव नही है. कोर्ट ने सरकारी कर्मी की सीडीआर मांगी थी जो नही दी जा सकती है. कोर्ट ने आज पुलिस को आरोपियों का रिमांड भी दिया है. आगे की कार्रवाई का इंतजार कर रहे है. मामले का संज्ञान विभाग के द्वारा भी लिया गया है. जल्द ही इस मामले में विभागीय जांच शुरू की जायेगी.

Related Articles

Back to top button