देवरिया: स्वास्थ्य विभाग का कर्मचारी लगा रहा है गुहार- साहब मैं जिंदा हूं, विभाग ने कागज में किया मृत घोषित

मेडिकल कालेज प्रशासन की बड़ी लापरवाही सामने आयी है। यहां रोज ड्यूटी कर रहे सिस्टर इंचार्ज को कागजों में मौत दिखा दी है। पीड़ित व्यक्ति का नाम राजेंद्र शुक्ला है जिसकी नौकरी 1999 में स्वास्थ्य विभाग में लगी है और यह देवरिया जिला अस्पताल के हड्डी रोग विभाग में वार्ड मास्टर पद तैनात रहे। करीब दो साल पहले देवरिया जिला अस्पताल को महर्षि देवराहा बाबा मेडिकल कॉलेज में तब्दील कर दिया गया।

देवरिया. मेडिकल कालेज प्रशासन की बड़ी लापरवाही सामने आयी है। यहां रोज ड्यूटी कर रहे सिस्टर इंचार्ज को कागजों में मौत दिखा दी है। पीड़ित व्यक्ति का नाम राजेंद्र शुक्ला है जिसकी नौकरी 1999 में स्वास्थ्य विभाग में लगी है और यह देवरिया जिला अस्पताल के हड्डी रोग विभाग में वार्ड मास्टर पद तैनात रहे। करीब दो साल पहले देवरिया जिला अस्पताल को महर्षि देवराहा बाबा मेडिकल कॉलेज में तब्दील कर दिया गया। जिसके बाद देवरिया जिला अस्पताल के सभी कर्मचारी मेडिकल कॉलेज की अधीन हो गए वही कुछ माह पूर्व राजेंद्र शुक्ला का ट्रांसफर हो गया इन्हें विगत 07 जून को मेडिकल कॉलेज प्रशासन ने महानिदेशक स्वास्थ्य विभाग लखनऊ के लिए रिलीव कर दिया.

उसके बाद उनकी तैनाती गोरखपुर जिला चिकित्सालय में कर दी गई लेकिन जब इनका सरकारी अभिलेख महर्षि देवराहा बाबा मेडिकल कॉलेज देवरिया से भेजा गया उसमें मेडिकल कॉलेज प्रशासन और बाबू के लापरवाही के चलते राजेंद्र शुक्ला को कागज में मृत घोषित कर दिया राजेंद्र शुक्ला को अभी तक वेतन नहीं मिल रहा है क्योंकि कागज में गड़बड़ी होने के चलते विभाग इनको मृत मान रहा है वही राजेंद्र शुक्ला अधिकारियों की चौखट पर गुहार लगा रहा है साहब मैं जिंदा हूं लेकिन फिर भी उनकी कोई सुनने वाला नहीं है राजेंद्र शुक्ला काफी परेशान है वेतन न मिलने के चलते इनका परिवार भुखमरी के कगार पर आने वाला है.

वही पीड़ित राजेंद्र शुक्ल ने कहा कि सरकारी अभिलेखों में मृत्यु घोषित होने की वजह से उन्हें सैलरी नहीं मिल पा रही है जिससे एक बड़ी समस्या उत्पन्न हो रही है।इस पूरे मामले पर CMO ने बताया कि पोर्टल में जानकारी भरते समय कुछ गलतियां हुई हैं जिनके सुधार के लिए पत्र लिखा गया है और इस पूरे मामले पर एक जांच इंक्वारी भी गठित की गई है लेकिन राजेंद्र शुक्ला बार-बार ही कह रहे हैं कि साहब मैं तो जिंदा हूं.

रिपोर्ट- मनीष मिश्रा (देवरिया)

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